
ravidas jayanti kyon manae jaati hai
परिचय
गुरु रविदास जयंती क्यों मनाया जाता हैं (Ravidas Jayanti Kyon Manae Jaati Hai) ? भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे संत रविदास जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। संत रविदास एक महान संत, समाज सुधारक, कवि और भक्त थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाया और समाज में व्याप्त जातिवाद, छुआछूत, भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करती हैं।
गुरु रविदास जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर जनवरी या फरवरी के महीने में आती है। इस दिन उनके अनुयायी भव्य आयोजन करते हैं, उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं और समाज में प्रेम, समानता और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है, इसका महत्व, इतिहास, परंपराएं और उनकी शिक्षाओं का समाज पर प्रभाव।
संत रविदास जी का जीवन परिचय
जन्म और परिवार
संत रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी 1377 ईस्वी में काशी (वर्तमान वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सीर गोवर्धन गाँव में हुआ था। उनका जन्म माघ पूर्णिमा के दिन एक दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रघुश्री और माता का नाम करम देवी था। वे जन्म से ही बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे।
जातिवाद और सामाजिक भेदभाव का प्रभाव
उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब समाज में जातिवाद चरम पर था। निम्न जाति के लोगों को शिक्षा और अन्य अधिकारों से वंचित रखा जाता था। संत रविदास जी ने इन सामाजिक बंधनों को तोड़ने का कार्य किया और उन्होंने सिखाया कि भगवान के लिए सभी मनुष्य समान हैं।
शिक्षा और भक्ति मार्ग
रविदास जी ने बचपन से ही भक्ति मार्ग को अपनाया। उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया, क्योंकि उस समय दलितों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन उनकी ईश्वर भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान ने उन्हें महान संत बना दिया। उन्होंने गुरु रामानंद से आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की और भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक बने।
रविदास जयंती मनाने का कारण
1. संत रविदास जी के योगदान को याद करना
रविदास जयंती को मनाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह दिन हमें उनके महान योगदान की याद दिलाता है। उन्होंने समाज में समानता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया।
2. जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष
संत रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने का प्रयास किया। उन्होंने उच्च और निम्न जाति के भेदभाव को गलत बताया और कहा कि ईश्वर के लिए सभी समान हैं। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज में प्रेरणादायक हैं।
3. आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना
रविदास जयंती के अवसर पर उनके भक्त उनकी शिक्षाओं को पढ़ते और अपनाने का संकल्प लेते हैं। इस दिन भजन-कीर्तन, सत्संग और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं ताकि लोग उनके विचारों को समझ सकें।
4. गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करना
भक्त इस दिन संत रविदास जी को सम्मान देने के लिए उनकी तस्वीर या मूर्ति की पूजा करते हैं, भजन गाते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
रविदास जयंती का महत्व
1. भक्ति आंदोलन को मजबूती देना
रविदास जी भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने ईश्वर भक्ति को सबसे ऊँचा स्थान दिया और जाति-पाति से ऊपर उठकर प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाया।
2. जातिगत भेदभाव को खत्म करने की प्रेरणा
उनकी शिक्षाएं बताती हैं कि जाति के आधार पर किसी का आकलन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने राजा से लेकर सामान्य लोगों तक सभी को समानता का संदेश दिया।
3. करुणा और मानवता का संदेश
रविदास जी ने समाज में करुणा, प्रेम और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा दिया। उन्होंने बताया कि असली इंसान वही है जो दूसरों की मदद करता है और सभी से प्रेम करता है।
4. संत कबीर और अन्य संतों पर प्रभाव
संत रविदास जी का प्रभाव संत कबीर, गुरु नानक देव और अन्य संतों पर भी पड़ा। उनकी शिक्षाएं सिख धर्म के ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में भी शामिल हैं।
रविदास जयंती का उत्सव और परंपराएं
1. शोभायात्राएं और जुलूस
रविदास जयंती पर देशभर में शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। भक्त संत रविदास जी के चित्र और झांकियां लेकर चलते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।
2. भजन और कीर्तन
इस दिन विशेष रूप से भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। संत रविदास जी के दोहे और भजन गाए जाते हैं जो उनकी शिक्षाओं को सरल भाषा में समझाते हैं।
3. लंगर और भंडारा
गुरुद्वारों और मंदिरों में लंगर और भंडारे का आयोजन किया जाता है, जहां सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जिससे समानता का संदेश मिलता है।
4. प्रवचन और सत्संग
धार्मिक स्थलों पर सत्संग और प्रवचन होते हैं, जहां संत रविदास जी की शिक्षाओं को समझाया जाता है और उनके विचारों को अपनाने की प्रेरणा दी जाती है।
संत रविदास जी की प्रमुख शिक्षाएं
1. ईश्वर के प्रति प्रेम
रविदास जी का मानना था कि सच्ची भक्ति केवल ईश्वर से प्रेम करके प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा –
“मन चंगा तो कठौती में गंगा।”
2. जाति और धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा
उन्होंने कहा कि जाति-पाति को भूलकर सभी को समान समझना चाहिए। उनके विचारों ने समाज को नई दिशा दी।
3. सत्य और ईमानदारी का महत्व
रविदास जी ने सत्य और ईमानदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीवन में नैतिकता और सच्चाई सबसे महत्वपूर्ण हैं।
4. कर्म और मेहनत पर जोर
उन्होंने यह भी सिखाया कि मेहनत करने वाला व्यक्ति ही सच्चा भक्त होता है।
निष्कर्ष (Ravidas Jayanti Kyon Manae Jaati Hai)
रविदास जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का प्रतीक है। यह दिन हमें संत रविदास जी की शिक्षाओं को याद करने और उन्हें अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है। उन्होंने भक्ति, समानता, प्रेम और मानवता का जो संदेश दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था।
संत रविदास जी ने जातिवाद, छुआछूत और भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और बताया कि सच्ची भक्ति केवल ईश्वर की आराधना और मानवता की सेवा में है। उन्होंने “मन चंगा तो कठौती में गंगा” जैसे विचारों के माध्यम से लोगों को यह सिखाया कि आत्मशुद्धि ही सबसे बड़ी पूजा है।
इन्हें भी पढ़े :-
- एंजेलो मैथ्यूज (Angelo Mathews Age): पत्नी, बच्चे, शिक्षा ,कैरियर, और अन्य खबरें जानिये
- Sohail Khan Age: जीवन परिचय, करियर, शिक्षा, परिवार, शौक ,नेटवर्थ और अन्य ताजा खबरें
- Shah Rukh Khan Net Worth: शौक, पत्नी, बच्चे, शिक्षा और करियर की पूरी जानकारी
- JEE Mains 2025: परीक्षा पैटर्न, सिलेबस, योग्यता और तैयारी कैसे करें
- Steve Jobs Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा से प्रेरणा और भारत के यात्रा की कहानी